अहमदनगर जिला, महाराष्ट्र: पर्यटन आकर्षण
अहमदनगर जिला ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक खूबियों से भरपूर है। यहाँ के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार
हैं:
1. ऐतिहासिक स्थल
अहमदनगर किला:
1490 ई. में बना
यह किला बहमनी सुल्तानों की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है।
इसमें चांद बीबी महल और मुगल काल के कैदखाने देखे जा सकते हैं।
खासियत: यहाँ
जवाहरलाल नेहरू ने "डिस्कवरी ऑफ इंडिया" पुस्तक लिखी थी।
अहमदनगर किला महाराष्ट्र के अहमदनगर शहर का एक प्रमुख ऐतिहासिक और स्थापत्यकला
का चमत्कार है। यह किला भारतीय इतिहास में अपनी रणनीतिक महत्व और सांस्कृतिक
विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
अहमदनगर किले का निर्माण अहमद निजाम शाह द्वारा 1490 में करवाया गया था। यह किला निजाम शाही वंश के
शासनकाल में एक महत्वपूर्ण रक्षा किला था। किले का उद्देश्य उस समय के दुश्मनों से
शहर की रक्षा करना था।
किले की वास्तुकला
इस्लामी शैली में है, जो इसकी मजबूती और
सुंदरता को दर्शाती है। किले की दीवारें बहुत मोटी और मजबूत हैं, और किले के अंदर कई जलाशय और जल स्रोत हैं जो
लंबे समय तक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करते थे।
यह किला कई ऐतिहासिक
घटनाओं का गवाह रहा है, जिसमें मुगल सम्राट अकबर द्वारा 1595 में किले पर कब्जा करने की कोशिश शामिल है। बाद
में, किले को मुगल साम्राज्य के तहत भी रखा गया।
किले का एक और ऐतिहासिक
पहलू यह है कि शाह नवाज खान और मीर मियां जैसे प्रमुख शख्सियतें भी इस किले में कैद हुईं
थीं।
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महत्वपूर्ण
घटनाएँ:
o मुगल काल: अकबर के समय में मुगलों ने इस पर
कब्जा किया।
o मराठा शासन: 1759 में मराठा साम्राज्य के पेशवाओं
ने इसे जीता।
o ब्रिटिश काल: 1803 में अंग्रेजों ने इसे अपने कब्जे
में ले लिया।
o आजादी के बाद: 1947 तक यह किला भारतीय सेना के अधीन
रहा।
तोम्ब ऑफ सलाबत खान II (चांद बीबी का मकबरा):
पहाड़ी पर
बना यह मकबरा "खड़की की मस्जिद" के नाम से प्रसिद्ध है।
किले के
अंदर प्रमुख स्थान
चांद बीबी महल:
बहमनी सुल्तान चांद बीबी का निवास
स्थल, जो अपनी नक्काशीदार खिड़कियों और
बारीक डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है।
जवाहरलाल नेहरू संग्रहालय:
1942-45 के दौरान नेहरू जी को यहाँ कैद
किया गया था। इसी दौरान उन्होंने "डिस्कवरी ऑफ इंडिया" पुस्तक लिखी।
संग्रहालय में नेहरू जी से जुड़ी
वस्तुएँ और स्वतंत्रता संग्राम की झलक देखी जा सकती है।
अमीन खान की मस्जिद:
किले के अंदर बनी यह मस्जिद 16वीं शताब्दी की इस्लामिक
वास्तुकला का उदाहरण है।
तोपखाना और कैदखाने:
किले में प्राचीन तोपें और
ब्रिटिश काल के कैदखाने अभी भी मौजूद हैं।
हरिश्चंद्रगढ़ किला:
प्राचीन
पहाड़ी किला, जो
हरिश्चंद्र पौराणिक कथाओं से जुड़ा है।
ट्रेकिंग
और प्राकृतिक दृश्यों के लिए आदर्श।
6वीं शताब्दी
में कलचुरी
राजवंश द्वारा बनवाया गया।
यह किला मुगलों और मराठाओं के बीच रणनीतिक संघर्ष का केंद्र
रहा।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने 17वीं शताब्दी में इसे मुगलों से
जीता और मराठा साम्राज्य में शामिल किया।
पुराणों में इसका उल्लेख ऋषि हरिश्चंद्र से जुड़ा है, जिनके नाम पर किले का नाम पड़ा।
स्थापत्यकला
और प्रमुख आकर्षण
केदारेश्वर गुफा मंदिर:
पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित यह
मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
गुफा के अंदर शिवलिंग है, जो बारिश के मौसम में पानी से घिर जाता है।
खासियत: गुफा की छत से पानी की बूंदें
लगातार शिवलिंग पर गिरती हैं, जिसे "स्वयंभू
लिंग" माना जाता है।
तारामती पीक:
हरिश्चंद्रगढ़ का सबसे ऊँचा शिखर, जहाँ से कोकण कडा (खड़ी चट्टान) और आसपास के जंगलों
का मनोरम दृश्य दिखता है।
हरिश्चंद्रेश्वर मंदिर:
यह मंदिर हरिश्चंद्रेश्वर भगवान को समर्पित है और हेमाडपंथी शैली
में बना है।
मंदिर की दीवारों पर जटिल नक्काशी
देखी जा सकती है।
सप्ततृंगी गुफाएँ:
पहाड़ी पर बनी ये गुफाएँ प्राचीन
समय में ऋषियों के ध्यान स्थल रही होंगी।
कोकण कडा:
यह खड़ी चट्टान (Cliff) ट्रेकर्स के लिए एक चुनौतीपूर्ण
स्थान है। सूर्यास्त और बादलों का नज़ारा यहाँ से अद्वितीय लगता है।
2. धार्मिक स्थल
शिर्डी साई बाबा मंदिर:
अहमदनगर जिले में स्थित, यह दुनिया भर से श्रद्धालुओं को
आकर्षित करता है।
साई बाबा की समाधि और प्रसिद्ध "द्वारकामाई"
मंदिर देखें।
नागनाथ मंदिर (नेवासा):
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, भगवान शिव को समर्पित प्राचीन
मंदिर।
मेहेर बाबा आश्रम:
अहमदनगर शहर में स्थित, यह आश्रम आध्यात्मिक शांति के लिए
प्रसिद्ध है।
3. प्राकृतिक सौंदर्य
मालशेज घाट:
अहमदनगर के पास स्थित यह हिल
स्टेशन बरसात में झरनों और हरियाली से भर जाता है।
फ्लेमिंगो पक्षियों का प्रवास
स्थल (जुलाई-सितंबर)।
रेहेकुरी ब्लैकबक अभयारण्य:
काले हिरण (ब्लैकबक) और वन्यजीवों
को देखने का अवसर।
4. सांस्कृतिक एवं सामाजिक स्थल
रालेगन सिद्धि:
सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे द्वारा विकसित "आदर्श
गाँव"।
जल संरक्षण और सामुदायिक विकास के
मॉडल को समझें।
पंढरपुर पालखी यात्रा मार्ग:
अहमदनगर से गुजरने वाली यह यात्रा
भक्ति और संस्कृति का अनूठा संगम है।
5. अन्य आकर्षण
अहिल्याबाई होलकर का जन्मस्थान
(चौंडी गाँव):
महान मराठा शासिका अहिल्याबाई के
जीवन से जुड़े स्थान।
संगमनेर किला:
16वीं शताब्दी का यह किला मुगल-मराठा
इतिहास की झलक देता है।
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