बनारस में घूमने की जगह|Tourist Places In Varanasi-Banaras

बनारस, जिसे काशी और वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक प्राचीन शहर है। यह गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। इसे भारत की धार्मिक राजधानी भी कहा जाता है।

 

Varansi

काशी विश्वनाथ मंदिर:

यह शिव मंदिर वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बहुत पहले हो चुका था। हालांकि, मुगल काल में इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया और फिर से बनाया गया। वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।

यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। हिंदू धर्म में इस मंदिर का बहुत अधिक महत्व है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है।

वाराणसी में गर्मी बहुत होती है, इसलिए मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है।


काशी विश्वनाथ मंदिर बनारस

दशाश्वमेध घाट:

यह गंगा नदी का सबसे पवित्र घाट है। यहां शाम को होने वाली आरती देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती एक अद्भुत अनुभव है।

इस घाट का नाम दशाश्वमेध यज्ञ से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ किए थे, इसलिए इस घाट का नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा। शाम को होने वाली गंगा आरती को देखना न भूलें। यह एक अद्भुत दृश्य होता है।

 

गंगा नदी का सबसे पवित्र घाट दशाश्वमेध घाट


अस्सी घाट:

यह घाट युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। यहां आपको कई कैफे और रेस्तरां मिल जाएंगे।

वाराणसी का अस्सी घाट न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि यह शहर का युवा दिल भी है। गंगा नदी के किनारे स्थित यह घाट अपने आधुनिक और पारंपरिक मिश्रण के लिए जाना जाता है।

अस्सी घाट का नामकरण एक पौराणिक कथा से जुड़ा है। मान्यता है कि माता दुर्गा ने यहां 80 दैत्यों का वध किया था, इसीलिए इस घाट का नाम अस्सी घाट पड़ा।

अस्सी घाट का धार्मिक महत्व भी है। यहां कई मंदिर और अखाड़े हैं। यहां अक्सर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

 

मणिकर्णिका घाट:

यह घाट उन लोगों के लिए प्रसिद्ध है जो शवदाह संस्कार करते हैं। वाराणसी का मणिकर्णिका घाट गंगा नदी के किनारे स्थित एक ऐसा स्थान है, जहां जीवन और मृत्यु का मिलन होता है। यह घाट हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है और इसे मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है।

इस घाट का नामकरण एक पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि माता पार्वती जी का कर्ण फूल यहाँ एक कुंड में गिर गया था, जिसे ढूढने का काम भगवान शंकर जी द्वारा किया गया, जिस कारण इस स्थान का नाम मणिकर्णिका पड़ गया।

मणिकर्णिका घाट हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार का प्रमुख स्थान है। मान्यता है कि यहां अंतिम संस्कार करवाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह घाट हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। यहां 24 घंटे चिताएं जलती रहती हैं। यहां एक पवित्र कुंड भी है जिसके बारे में माना जाता है कि यह बहुत पुराना है।

वाराणसी का मणिकर्णिका घाट


रामनगरी:

यह वाराणसी का एक नया इलाका है, जो अपने आधुनिक मॉल और होटलों के लिए जाना जाता है।

वाराणसी की रामनगरी, उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। यह रामनगर दुर्ग के लिए जाना जाता है, जो काशी नरेश का आधिकारिक और पैतृक आवास है।

रामनगर का इतिहास काशी नरेशों से जुड़ा हुआ है। 18वीं शताब्दी में काशी नरेश ने इस दुर्ग का निर्माण करवाया था। इस दुर्ग को रामनगर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां भगवान राम के जीवन से जुड़ी कई घटनाएं हुई थीं।

रामनगर दुर्ग: यह दुर्ग अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां आप कई प्राचीन मंदिर, महल और बगीचे देख सकते हैं।

सरस्वती भवन: इस भवन में मनुस्मृतियों, पांडुलिपियों और धार्मिक ग्रंथों का दुर्लभ संग्रह है।

रामनगर की रामलीला: रामनगर की रामलीला विश्व प्रसिद्ध है। यह भारत के सबसे बड़े ओपन थिएटर में से एक है।

रामनगर काशी की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। रामनगर की रामलीला इनमें से एक प्रमुख कार्यक्रम है।

 

सांसारिक घाट:

यह घाट उन लोगों के लिए प्रसिद्ध है जो शवदाह संस्कार करते हैं।

सांसारिक घाट वाराणसी का एक महत्वपूर्ण घाट है जो गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह घाट हिंदू धर्म में विशेष रूप से मृत्यु संस्कारों से जुड़ा हुआ है। यहाँ लगातार अंतिम संस्कार होते रहते हैं, इसलिए इसे अक्सर 'महाश्मशान' भी कहा जाता है।

हिंदू धर्म में, सांसारिक घाट को मोक्ष प्राप्त करने का एक पवित्र स्थान माना जाता है। माना जाता है कि यहां अंतिम संस्कार करने से आत्मा को मोक्ष मिलता है। यह घाट सदियों से अंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है और इस प्रकार यह वाराणसी के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

आप यहां अंतिम संस्कार की प्रक्रिया देख सकते हैं, हालांकि यह एक भावनात्मक अनुभव हो सकता है।

 

 

 

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