Top 5 best places to visit in Lucknow|लखनऊ में घूमने की जगह कौन-कौन सी है

लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी, अपनी समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक इमारतों और स्वादिष्ट खाने के लिए जाना जाता है। इसे नवाबों का शहर भी कहा जाता है। अगर आप लखनऊ की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो यहां कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल हैं जो आपको जरूर देखने चाहिए:

 

लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी

बड़ा इमामबाड़ा:

यह एक विशाल इमारत है जिसे 18वीं शताब्दी में नवाब असफ उद्दौला ने बनवाया था। इसमें एक भूलभुलैया भी है जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है।

बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ का एक बेहद खूबसूरत और ऐतिहासिक स्मारक है। इसे नवाब आसफ-उद-दौला ने 18वीं शताब्दी में बनवाया था। यह न केवल अपनी वास्तुकला के लिए बल्कि अपनी भूलभुलैया के लिए भी जाना जाता है।

इसका निर्माण 1784 में शुरू हुआ था और इसे अकाल के दौरान लोगों को रोजगार देने के लिए बनाया गया था। इसमें मुगल और राजपूत शैली का मिश्रण देखने को मिलता है। इसकी विशाल छत और भूलभुलैया इसे एक अनोखा स्मारक बनाती हैं। बड़ा इमामबाड़ा में एक विशाल भूलभुलैया है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें खो जाना आसान है। यह भूलभुलैया कई मंजिलों पर फैली हुई है और इसमें कई गलियारे और कमरे हैं। बड़ा इमामबाड़ा में दुनिया का सबसे बड़ा गुंबददार हॉल है। यह अवध के नवाबों के शासनकाल की एक झलक पेश करता है।

 

बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ

रूमी दरवाजा:

 यह एक विशाल दरवाजा है जो बड़ा इमामबाड़ा के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। इसकी नक्काशीदार डिजाइन इसे एक आकर्षक स्थल बनाती है।

रूमी दरवाजा लखनऊ शहर का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक है। यह न केवल शहर का एक प्रमुख प्रवेशद्वार है बल्कि इसकी वास्तुकला और इतिहास के कारण भी प्रसिद्ध है।

रूमी दरवाजा को 18वीं शताब्दी में नवाब आसफ-उद-दौला ने बनवाया था। इसका निर्माण बड़ा इमामबाड़ा के निर्माण के साथ ही शुरू हुआ था। यह दरवाजा तुर्की के दरवाजों से प्रेरित है और इसलिए इसे 'तुर्की गेट' भी कहा जाता है। इसकी ऊंचाई लगभग 60 फीट है और इसमें लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। दरवाजे के ऊपरी हिस्से में एक आठ भुजा वाली छतरी है जो इसे एक अनोखा रूप देती है। इस दरवाजे का निर्माण अकाल के दौरान लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से किया गया था। यह दरवाजा अब लखनऊ शहर का प्रतीक बन चुका है। रूमी दरवाजा का नाम 13वीं सदी के सूफी फकीर जलाल-अद-दीन मुहम्मद रूमी के नाम पर रखा गया है। यह दरवाजा बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा के बीच स्थित है।

 

तुर्की गेट

रेजीडेंसी:

यह एक ऐतिहासिक इमारत है जो 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश रेजिडेंट का निवास स्थान था। आज यह एक संग्रहालय है जिसमें ब्रिटिश शासन के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं प्रदर्शित की जाती हैं।

लखनऊ रेजीडेंसी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित एक ऐतिहासिक परिसर है। यह 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है और आज यह भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में खड़ा है।

रेजीडेंसी का निर्माण नवाब आसफ-उद-दौला ने 1775 में शुरू करवाया था, जिसे नवाब सआदत अली ने पूरा कराया। इसका निर्माण ब्रिटिश रेजिडेंट जनरल के आधिकारिक निवास के लिए किया गया था, जो अवध(लखनऊ) क्षेत्र में ब्रिटिश क्राउन के राजनीतिक प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते थे। 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, भारतीय सिपाही और नागरिकों ने रेजीडेंसी को घेर लिया था। यह घेराबंदी चार महीने से अधिक समय तक चली और इस दौरान दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ। यह लड़ाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। आज रेजीडेंसी एक खंडहर के रूप में है, लेकिन यह 1857 की घटनाओं के स्मारक के रूप में संरक्षित किया गया था। यह आज एक ऐतिहासिक स्थल और संग्रहालय के रूप में कार्य करता है। यहां आप 1857 के विद्रोह से जुड़ी कई चीजें देख सकते हैं। रेजीडेंसी लखनऊ का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

लखनऊ रेजीडेंसी उत्तर प्रदेश


हुसैनाबाद इमामबाड़ा:

 यह बड़ा इमामबाड़ा के पास स्थित एक छोटा इमामबाड़ा है। लखनऊ, नवाबों के शहर के रूप में जाना जाता है, में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। इनमें से एक है हुसैनाबाद इमामबाड़ा, जिसे छोटा इमामबाड़ा भी कहा जाता है। यह इमारत अपनी भव्यता और वास्तुकला के लिए जानी जाती है।

हुसैनाबाद इमामबाड़ा का निर्माण अवध के तीसरे नवाब, मोहम्मद अली शाह ने 1837 में करवाया था। इस इमारत का निर्माण अकाल के दौरान लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से किया गया था। यह इमामबाड़ा नवाब मोहम्मद अली शाह और उनकी माँ के मकबरे के रूप में भी काम करता है।

हुसैनाबाद इमामबाड़ा की वास्तुकला मुगल और राजपूत शैली का एक अद्भुत मिश्रण है। इसकी सबसे खास बात है इसका सुनहरा गुंबद जो दूर से ही दिखाई देता है। इस इमारत में नक्काशीदार दरवाजे, खिड़कियां और दीवारें हैं जो इसे एक अद्वितीय रूप देती हैं। इमामबाड़े के सामने एक अधूरा घंटाघर है जिसे सतखंड कहा जाता है। इमारत के अंदरूनी हिस्से में नक्काशीदार छत, दीवारें और स्तंभ हैं। इमारत में नवाब मोहम्मद अली शाह और उनकी माँ के मकबरे स्थित हैं। हुसैनाबाद इमामबाड़ा को कभी-कभी "छोटा इमामबाड़ा" भी कहा जाता है। हुसैनाबाद इमामबाड़ा मोहर्रम के दौरान विशेष रूप से सजाया जाता है।

लखनऊ


गोमती नदी:

आप गोमती नदी के किनारे टहल सकते हैं और नदी के खूबसूरत दृश्य का आनंद ले सकते हैं।

गोमती नदी उत्तर प्रदेश राज्य की एक प्रमुख नदी है और इसे हिंदू धर्म में पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। यह नदी न केवल उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है।

गोमती नदी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के माधोटांडा ग्राम के समीप स्थित गोमत ताल में निकलती है। यह नदी उत्तर प्रदेश के कई जिलों से होकर गुजरती है जिनमें लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर और जौनपुर प्रमुख हैं। लगभग 960 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद यह गाजीपुर जिले में सैदपुर के समीप गंगा नदी में मिल जाती है।

अंबेडकर पार्क:

यह एक बड़ा पार्क है जहां आप आराम कर सकते हैं और प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।

अंबेडकर पार्क लखनऊ में स्थित एक विशाल और भव्य पार्क है जिसे डॉ. भीमराव अंबेडकर को समर्पित किया गया है। यह पार्क न केवल अपनी भव्यता के लिए बल्कि अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यह पार्क उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व में बनाया गया था। इस पार्क का निर्माण डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों और उनके योगदान को याद रखने के लिए किया गया था। पार्क का डिजाइन बहुत ही भव्य और आकर्षक है। इसमें कई मूर्तियां, स्तूप और स्मारक हैं जो डॉ. अंबेडकर के जीवन और कार्यों को दर्शाते हैं। पार्क का मुख्य आकर्षण अंबेडकर स्तूप है जो एक विशाल गुंबद के रूप में बना हुआ है। पार्क में डॉ. अंबेडकर के साथ-साथ अन्य महान दलित नेताओं जैसे ज्योतिबा फुले, शाहूजी महाराज, काशीराम आदि की भी मूर्तियां स्थापित की गई हैं। पार्क में एक संग्रहालय भी है जहां डॉ. अंबेडकर के जीवन और कार्यों से संबंधित कई चीजें प्रदर्शित की गई हैं। यह भारत के सामाजिक सुधार आंदोलन के इतिहास को दर्शाता है।

डॉ. अंबेडकर  पार्क लखनऊ


हजरतगंज:

यह लखनऊ का सबसे व्यस्त बाजार है जहां आपको कपड़े, जूते, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सामान मिल जाएगा।

हजरतगंज लखनऊ शहर का सबसे प्रसिद्ध और व्यस्त बाजार है। इसे अक्सर "लखनऊ का दिल" भी कहा जाता है। यह अपनी ऐतिहासिक इमारतों, शानदार दुकानों, स्वादिष्ट खाने और जीवंत माहौल के लिए जाना जाता है।

हजरतगंज की स्थापना 1827 में नवाब नासिर-उद-दीन हैदर शाह ने की थी। उस समय इसे गंज मार्केट के नाम से जाना जाता था। धीरे-धीरे यह लखनऊ का सबसे बड़ा और सबसे व्यस्त बाजार बन गया। हजरतगंज में कपड़े, जूते, इलेक्ट्रॉनिक्स, किताबें, गहने, और अन्य कई तरह के सामानों की दुकानें हैं। यहां कई ऐतिहासिक इमारतें हैं जैसे कि लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ क्लब और रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड बिल्डिंग।

 

आप अपनी पसंद के अनुसार इनमें से कोई भी होटल चुन सकते हैं।

 

होटल

रेटिंग

प्रति रात्रि शुल्क

कोंटेक नं.

NATTHA BY INDIAN CULTURE

3.9

₹434

0522 406 6375

Hotel O Mahakal palace

 

₹461

0124 620 1619

Roop Guest House

3.6

₹474

097957 58152

Manbodh nivash

4.2

₹485

090443 57198

Sudha sadan

3.6

₹503

082991 27327

 

 

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